जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है, उसी पल से आपकी पहचान एक "बॉडी" बन जाती है। अरे "बॉडी" लेकर आइये, "बॉडी" को उठाइये, "बॉडी" को सूलाइये ऐसे शब्दो से आपको पूकारा जाता है, वे लोग भी आपको आपके नाम से नही पुकारते , जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी। इसीलिए निर्मिती" को नही निर्माता" को प्रभावित करने के लिये जीवन जियो। जीवन मे आने वाले हर चूनौती को स्वीकार करे।...... अपनी पसंद की चिजो के लिये खर्चा किजिये।...... इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।.... आप कितना भी बूरा नाचते हो , फिर भी नाचिये।...... उस खूशी को महसूस किजिये।...... फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दिजिये।...... बिलकुल छोटे बच्चे बन जायिये। क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है। लॉस तो वो है के आप जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चूकी है।..... हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है। "जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं, "काम में खुश हूं," आराम में खुश हू, "आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं, ...
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