डीआईजी रतलाम मनोज कुमार सिंह ने अपने साथ होने वाली संभावित दुर्घटना के बारे में पोस्ट कर लोगो को जागरूक करने की कोशिश की।
कल जब मैं रतलाम से नीमच जा रहा था तो एक बड़ी संभावित दुर्घटना से बचा,,
डीआईजी रतलाम मनोज कुमार सिंह ने अपने साथ होने वाली संभावित दुर्घटना के बारे में पोस्ट कर लोगो को जागरूक करने की कोशिश की।
- फोन पर बातचीत मस्तिष्क का एक बड़ा हिस्सा घेरती है, पढ़े डीआईजी की आपबीती ओर सड़क पर चलने वाले वाहन चालको को जागरूक करने वाली यह पोस्ट।
जितेंद्र वर्मा रतलाम /
कल जब मैं रतलाम से नीमच जा रहा था तो एक बड़ी संभावित दुर्घटना से बचा ।हुआ यूं कि पिपलिया मंडी के पास फोरलेन के मरम्मत का कार्य चल रहा है। नीमच की तरफ जाने वाले मार्ग (टूलेन) मरम्मत हेतु बंद था तो मंदसौर आने वाले मार्ग ( टूलेन) में ही आवागमन जारी था । लगभग 3 किलोमीटर में एक साइड में ही आवागमन जारी था। नीमच की तरफ से एक SUV चालक अपने मोबाइल हाथ में लिए बातचीत में मशगूल होकर गाड़ी दाहिने तरफ से गाड़ी ड्राइव कर रहा था ।वह निश्चिंत था कि मैं सही लेन में हूं। मेरी गाड़ी भी उसी लेन में आगे बढ़ रही थी चूंकि मार्ग एकांगी हो गया था तो उसे अपने बाएं तरफ से चलना था। इन परिस्थितियों में दुर्घटना अवश्यंभावी थी। ऐन वक्त उसका ध्यान मोबाइल से हटा और एक बड़ी दुर्घटना होने से हम सब बचे।
आजकल *distracted (विचलित ) driving* सबसे बड़ा कारण वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बातचीत करना है। फोन पर बातचीत मस्तिष्क का एक बड़ा हिस्सा घेरती है और एक छोटा हिस्सा ड्राइविंग में कार्यशील होता है। मस्तिष्क का यह विभाजन प्रतिक्रिया समय और फैसले की क्षमता में बाधा पहुंचाता है और टक्कर का कारण बन जाता है। अतः ड्राइविंग के दौरान टेलीफोन का उपयोग ना करें। ध्यान पूर्वक चलें ( चित्र में घटना का विवरण चित्रित करने का प्रयास किया है )