,तीन प्रमुख मांगो को लेकर दिया ज्ञापन,,पर्यावरण हितैषियों एवं जागरूक नागरिको द्वारा मांग की आपराधियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज नहीं हुआ तो धरना प्रदर्शन कर रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शित किया जायेगा।,,,
प्रधान सम्पादक जितेंद्र वर्मा रतलाम
रतलाम जिले में आज मंगलवार जनसुनवाई में कलेक्टर के समक्ष एक तीन सूत्री मांगों को लेकर आवेदन प्रस्तुत किया गया जिसमें पर्यावरण हितैषी हेमन्त आजमेरा जुगल पंड्या हेमा हेमनानी श्रेय सोनी ,अदिति दवेसर राहुल दुबेस द्वारा मांग की कई की शहर में हो रही है अंधाधुंध वृक्ष की कटाई पर तुरंत रोक लगा दी जाए,
नगर निगम अधिकारियों पार्षदों की बढ़ती मनमानी के कारण रतलाम में पेड़ों की अंधाधुन कटाई की जा रही है जिसमें अधिक नुकसान पक्षियों का हो रहा है ताजा मामला भी सामने आया कालिका माता क्षेत्र में पार्षद द्वारा निगम उद्यान अधिकारी से पेड़ों की छटाई कराई गई जिसमें पेड़ों पर कई पक्षियों के घोसले नष्ट कर दिए गए उसमें कुछ पक्षी व उनके बच्चे भी मर गए। इसी संदर्भ में पक्षी प्रेमी और पर्यावरण संस्था ने आज कलेक्टर को संबंधित अधिकारी के ऊपर कार्रवाई करने के संदर्भ में ज्ञापन दिया और उसमें मांग की गई कि निगम अपने मनमानी तरीके से पेड़ पौधे काटता जा रहा है और उनके ऊपर किसी प्रकार की कार्रवाई ना होने के कारण उनका हौसला बढ़ता जा रहा है इसलिए आपके संबंधित अधिकारी पर जांच न कर सीधे एफआईआर की जाए,
साथ ही पर्यावरण हितैषी द्वारा जानकारी दी गई कि विगत वर्षों मे रतलाम शहर मे अंधाधुंध तरीके से वृक्ष काट दिए जाते है जिसमे अधिनियम के नियम-कानूनों को ताक पर रखकर पेड की कटाई की जा रही है।
जबकि विधिवत अनुमति के साथ ही एक पेड़ के स्थान पर 10 पेड़ लगाये जाने के स्पष्ट प्रावधान है।
यदि भौतिक रूप से निरीक्षण करे तो स्थिति स्पष्ट हो जायेगी।
शहर में सीमेंट क्रांकीट सड़क बनने के कारण पेड़ अंधाधुन कट रहे हैं
जिसका दुष्परिणाम पशु-पक्षियों को बहुत ज्यादा भुगतना पड रहा है।
कल दिनांक 26/06/2023 को कालिका माता मंदिर प्रांगण में वर्षा ऋतुकाल मे पेड़ो की कटाई की गई
जिसमे हरे भरे वृक्ष को पार्षद प्रतिनिधि के कहने पर नगर पालिक निगम द्वारा बिना जांच पड़ताल के काटा गया जिसमे कई पक्षी और उनके बच्चे मारे गये।
इसका जिम्मेदार कोन निगम या प्रशासन ??? और जिसमे सजा अथवा जुर्माना दोनो का प्रावधान है। वन्य जीवसंराण अधिनियम, 1972 की धारा 9 के तहत बगुला पक्षी के मारने या क्षति पहुचाने और वर्षा ऋतु में पेड़ो के काटाने पर सख्त सजा का प्रावधान है।
प्रमुख मांग है,,
(1) वृक्ष अधिनियम, 2001 एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कार्यवाही की जावे ।
(2) उपरोक्त दोनो अधिनियमों के प्रावधानों को सख्ती से लागू करवाया जाये ताकि भविष्य में पुनरावृति न हो।
(3) एक पर्यावरण समिति का गठन किया जाये जिसमे पेड़ों की अवैध कटाई पर रोक लगाई जा सके।